ब्रह्मस्थान क्या है |
ब्रह्मस्थान मे वास्तू दोष|
ब्रह्मस्थान मे क्या बना सकते है|
ब्रह्मस्थान मे दोष के लिये remedies पर सूचना|
ब्रह्मस्थान कैसा होना चाहिये|
वास्तु शास्त्र में ब्रह्मस्थान 9वीं दिशा है। वैदिक वास्तुकला और सामुदायिक नियोजन का एक सिद्धांत ब्रह्मस्थान भवन या भौगोलिक क्षेत्र के केंद्र बिंदु को निर्दिष्ट करता है। वैदिक वास्तुकला वास्तु शास्त्र पर आधारित है। यह एक इमारत में एक विशेष केंद्रीय क्षेत्र है। यह वह बिंदु है जहां से अन्य सभी दिशाएं उत्पन्न होती हैं और उससे संबंधित होती हैं। किसी भी संरचना के लिए केंद्रीय होने के नाते, यह सभी आकारों और संरचनाओं के लिए प्रासंगिक है। यह संरचना या स्थान को 9 वर्गों के ब्लॉक में विभाजित करके और केंद्रीय ब्लॉक ब्रह्मस्थान द्वारा पहुंचाया जाता है।
सभी दिशाओं से आने वाली ऊर्जा केंद्र में अभिसरण होती है, चाहे वह घर या कारखाना हो। ये ऊर्जा घर के निवासियों के लिए आवश्यक हैं, यही कारण है कि इसे जीवन बिंदु के रूप में भी जाना जाता है। घर में और अधिक खुली जगह का अर्थ है घर के अंदर और उसके आस-पास और अधिक सकारात्मक कंपन जो बदले में घर में सांसारिक ऊर्जा को शांति और सद्भाव उत्पन्न करने के लिए प्रस्तुत करती है।
ब्रह्मस्थान मे वास्तू दोष
• घर के ब्रह्मस्थान में निर्मित सीढ़ियां निवासियों के मानसिक और वित्तीय विकास को प्रभावित करती हैं।
• घर के केंद्र (ब्रह्मस्थान) में कभी भी बीम नहीं होना चाहिए।
• घर के केंद्र ब्रह्मस्थान में शौचालय और स्नानघर नहीं बनाया जा सकता है।
• केंद्र ब्रह्मस्थान में रसोईघर के निवासियों के स्वास्थ्य पर कुछ प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं।
• ब्रह्मस्थान में सोना एक व्यक्ति के जीवन में भ्रम पैदा करेगा।
• ब्रह्मस्थान मे तिजोरी ना रखे|
• ब्रह्मस्थान मे जरुरी पेपर्स ना रखे|
• ब्रह्मस्थान मे स्टडी रूम ना रखे|
• बेडरूम ब्रह्मस्थान मे न रखे|
ब्रह्मस्थान मे क्या बना सकते है|
• पूजा कक्ष या प्रार्थना स्थान ब्रह्मस्थान मे हो सकता है|
• डाइनिंग हॉल ब्रह्मस्थान केंद्र में बनाया जा सकता है।
ब्रह्मस्थान मे दोष के लिये remedies करते वक्त घर का वास्तू भी consider करणा पडता है इसी लिये directly ब्रह्मस्थान के लिये remedies नाही बता सकते.
ब्रह्मस्थान कैसा होना चाहिये
हमेशा अपने घर पर सद्भाव, शांति और समृद्धि का आनंद लेने के लिए ब्रह्मस्थान को खुले और बाधा मुक्त रखें।
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